सरोकार की पहली संगोष्ठी- " आजादी की उत्तर कथा : एक संवाद " बनवारी लाल शर्मा को समर्पित
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| prof. lal bahadur varma |
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| prof. rajendra prasad |
प्रो. राजेन्द्र कुमार जी ने प्रेमचंद को याद करते हुए कहा कि साम्प्रदायिकता संस्कृति की खाल ओढ़ कर आती है. आज सरकारी दमन , संविधान और क़ानून की खाल ओढ़ कर आ रहा है. उन्होंने अपने वक्तव्य में नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि उनके लिए रोज़गार के दरवाज़े पूरी तरह बंद हो गए हैं.इसलिए उन्हें अधिक सजग रहने की ज़रुरत है
प्रो. लाल बहादुर वर्मा ने कहा कि आज हमारे अन्दर से सरोकार गायब ही गया है, ऐसे में सरोकार का जन्मना स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा आजादी इन्सानी ज़िन्दगी का तसव्वुर है जो साध्य भी है और साधन भी.
प्रो. वर्मा ने लोगों से खुद को टटोलने का आवाहन करते हुए कहा कि हमारी सरकार इसीलिए बेलगाम हो गयी है क्योंकि हमने उसे वैसे ही छोड़ दिया. हमें अपने से, अपनी ज़िंदगी से और समाज से सरोकार रखना चाहिए.
आजादी बचाओ आन्दोलन के कृष्ण स्वरूप आनन्दी ने बनवारी लाल शर्मा को याद करते हुए कहा कि वे हमेशा कारपोरेट गुलामी के खिलाफ लड़ते रहे, और उसी रणभूमि में शहीद हुए. उनके काम को आगे बढ़ाना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है.
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए एम.ए.कदीर ने कहा कि १९४७ के बाद हमें बहुत कुछ मिला है. लेकिन जब तक सबको काम और भोजन नही मिलता ये आजादी मुकम्मल नही है उन्होंने सरोकार को बधाई देते हुए कहा यह शेर कहा-
"सिर्फ नाते ही नही, कुछ कारगुजारी रखना.
होशमंदी यूं ही माहौल पे तारी रखना
इस सरोकार से सर होंगे सरोकार बहुत
इस सरोकार की तहरीक को जारी रखना .
गोष्ठी की शुरुआत आरती Arti Chirag और चारु Charu Mishraके जनवादी गीत से हुई. बीच में शाहनवाज़ आलम ने फैज़ की नज़्म - "ये दाग-दाग उजाला .." पढी. और संध्या नवोदिता ने अपनी कविता "देश-देश" पढी.
संगोष्ठी में बड़ी संख्या में छात्रों के अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता रविकिरण जैन, अधिवक्ता भरत किशोर श्रीवास्तव, आशुतोष तिवारी, सदाशिव, रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक Anil Ranjan Bhowmick, प्रवीण शेखर , फजल -ए-हसनैन उर्मिला जैन Urmila Jain, नीलम शंकर Neelam Shanker , के.के.पाण्डेय, सीमा आज़ाद , अनीता गोपेश, सत्यकेतु Ranvijay Singh Satyaketu, अनिल कुमार पुष्कर, संजय सिंह , मलखान सिंह Malkhan Singh, संगीता वर्मा, अनामिकAnamika Singh, ज्ञान प्रजापति, बृजेश, आलोक सिंह, सुघोष मिश्रा, जन्मेजय सिंह, ओमप्रकाश द्विवेदी Om Prakash, ललित सिंह, आर.पी.कैथल, अंकेश कुमार,ए.के.पांडे, विपिन श्रीवास्तव, राकेश विश्वकर्मा, राम सागर, जावेद खान, प्रद्युमन यादव, मनोज , औरंगजेब, शैलेन्द्र जय Shailendra Jai, अखिलेश, मालविका राव, सुनील मौर्य , हरीश चन्द्र पांडे, सालेहा सिद्दीकी, सर्वेश, Atul Pandey, रिजवाना सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे.
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| sanchalan : sandhya navodita |



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